ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
COPYRIGHT 2007.© 2007. The blog author holds the copyright over all the blog posts, in this blog. Republishing in ROMAN or translating my works without permission is not permitted. Adding this blog to Hindi Aggregators without permission is voilation of Copy Right .
ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Sunday, October 01, 2006

क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते हें.

शादी बटना तन का
बटना मन का
बटना बिस्तर का
बटना एह्सासो का
क्या शादी सिर्फ बाटती है?
क्या कुछ भी ऐसा नहीं हें
जो जुडता है ?
क्यों मरता है मन
पर शादी नहीं टूट्ती
क्यों टूटते है एहसास
पर शादी नहीं टूटती
क्या सच मे शादी
नहीं टूटती
क्या केवल सात फेरे लेने से
बिस्तर पर साथ सोने से
बच्चो को दुनिया मे लाने से
नारी पत्नी होती है और पुरुष पति
बिना प्यार के शादी निबाहना
ईक झूठ को जीना ही है
शादी को बचाने मे
खतम हो रहा अपनापन
मिट रहा है सब कुछ
वह खुद और बाकी
सब कहते है
वह बहुत खुश है
वह बहुत तकदीर वाला है
उसके पास सब कुछ है
एक अच्छी पत्नी
दो प्यारे बच्चे
आलिशान घर शानदार नौकरी
पर मैने देखा है
उसका खालीपन
और मैने भी जिया है
उसके साथ उसका खालीपन
और मैने अपने खालीपन को
भर लिया है उसके
खालीपन से
मै उसकी पत्नी नहीं हूँ
मै उसकी प्रेमिका भी नहीं हूँ
मै तो उसकी कुछ भी नहीं हूँ
पर फिर क्यो मुझे तकलीफ होती है
जब वह समय नहीं पता है
राखी पर वह घर नहीं जाता
अपनी दीदी से रखी नहीं बंधवा पता
जब वह दशहेरा दिवाली मनाता है
पर अम्मा पापा के पास नहीं जा पता है
जब वह किसी और को चाहता है
उससे भी संबंध बनता है
पर फिर भी शादी निभाता है
एक झूठ को जीता जाता है
क्यों मुझे तकलीफ होती है
जब वह सब खोने के डर से
अपने को खोता जाता है
और शादी निभाने के लिये
सिर्फ झूठ ही बोलता जाता है
मेरी तकलीफ सिर्फ मेरी हें
क्योकि वह ज़माने के साथ
चल रहा है
जल रहा है
और चलता रहेगा
चुप चाप
और मै तकलीफ पाती रहूगी
क्योकि मै वह नहीं देख पाती
जो सब देख पाते हें.

No comments: