ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Saturday, March 12, 2011

सोच रहा हैं अरुणा शानबाग का बिस्तर

अरुणा
मर तो तुम उस दिन ही गयी थी
जिस दिन एक दरिन्दे ने
तुम्हारा बलात्कार किया था
और तुम्हारे गले को बाँधा था
एक जंजीर से
जो लोग अपने कुत्ते के गले मे नहीं
उसके पट्टे मे बांधते हैं

उस जंजीर ने रोक दिया
तुम्हारे जीवन को वही
उसी पल मे
कैद कर दिया तुम्हारी साँसों को
जो आज भी चल रही हैं

उस जंजीर ने बाँध दिया तुमको एक बिस्तर से
और आज भी ३७ साल से वो बिस्तर ,
मै
तुम्हारा हम सफ़र बना
देख रहा हूँ तुम्हारी जीजिविषा
और सोच रहा हूँ

क्यूँ जीवन ख़तम हो जाने के बाद भी तुम जिन्दा हो ??

तुम जिन्दा हो क्युकी तुमको
रचना हैं एक इतिहास
सबसे लम्बे समय तक
जीवित लाश बन कर
रहने वाली बलात्कार पीड़िता का
उस पीडिता का जिसको
अपनी पीड़ा का कोई
एहसास भी नहीं होता

हो सकता हैं
कल तुम्हारा नाम गिनीस बुक मे
भी आजाये

क्यूँ चल रही हैं सांसे आज भी तुम्हारी
शायद इस लिये क्युकी
रचना हैं एक इतिहास तुम्हे

जहां अधिकार मिले
लोगो को अपनी पीड़ा से मुक्ति पाने का
उस पीड़ा से जो वो महसूस भी नहीं करते



आज लोग कहते हैं
बेचारी बदकिस्मत लड़की के लिये कुछ करो
भूल जाते हैं वो कि
लड़की से वृद्धा का सफ़र
तुमने अपने बिस्तर के साथ
तय कर लिया हैं
काट लिया कहना कुछ ज्यादा बेहतर होता

कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं



एक बिस्तर कि भी पीड़ा होती हैं
कब ख़तम होगी मेरी पीड़ा
अरुणा का बिस्तर सोच रहा हैं
और कामना कर रहा हैं
फिर किसी बिस्तर को
बनना पडे
किसी बलात्कार पीड़िता
का हमसफ़र



लेकिन
बदकिस्मत एक बलात्कार पीड़िता नहीं होती हैं
बदकिस्मत हैं वो समाज जहां बलात्कार होता हैं

बड़ा बदकिस्मत हैं
ये भारत का समाज
जो बार बार संस्कार कि दुहाई देकर
असंस्कारी ही बना रहता हैं

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