वो लफ्ज के सहारे
ब्यान करते रहे
हम एहसास उनके
उन लफ्जो को समझते रहे
एहसास कब लफ्ज़ो से
ब्यान होते हैं
ये भी हम समझते रहे
ज़िंदगी ने बस यही
सिखाया हैं हमें
जीना ही जिंदगी हैं
फिर लफ़्ज हो या एहसास
बस समझ का फेर हैं
ब्यान करते रहे
हम एहसास उनके
उन लफ्जो को समझते रहे
एहसास कब लफ्ज़ो से
ब्यान होते हैं
ये भी हम समझते रहे
ज़िंदगी ने बस यही
सिखाया हैं हमें
जीना ही जिंदगी हैं
फिर लफ़्ज हो या एहसास
बस समझ का फेर हैं
1 comment:
sundar bhav bali kavita hai
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