ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Tuesday, August 18, 2015

पुरुष जैसी

वर्जनाएं सब स्त्री के लिये
गर्जनाये सब पुरुष के लिये
गर्जना अगर कोई स्त्री करती हैं
पुरुष जैसी वो कहलाती हैं
भाव और अभिव्यक्ति तक
लिंग आधरित विभाजित हैं
कैसी विडम्बना हैं
जन्म से जो स्वतंत्र हो
मांगती हैं
स्वतंत्र होने का अधिकार
और
ऐसा करते ही
अपना अस्तित्व खो देती हैं
और पुरुष जैसी होगयी
का तमगा पाती हैं




4 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सटीक अभिव्यक्ति...नारी के दर्द को बहुत ख़ूबसूरत शब्द दिए हैं...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

स्वतंत्रता हर का अधिकार

सुन्दर शब्द

Shanti Garg said...

सुन्दर व सार्थक रचना ..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

nice words