स्कूल से आना
और दादी का रोटी गरम करके खिलाना
बूढ़े कांपते हाथो से तवा ना उठा पाना
गैस जलना भी ना आना
पर
स्टोव जला कर तश्तरी पर रोटी गरम करना
और गुड्डन , पिंकी को खिलाना
मुझे याद है अपनी दादी का
अनकहा प्यार और
आज भी सब दिखता है
आखे बंद करती हूँ
तब भी दिखता है
वह वरंडा,
वह मेज
वह स्टोव
और सफेद साड़ी मे सिर ढके मेरी दादी
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