ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Thursday, May 24, 2007

अंश नहीं हो तुम मेरा

इसे विधि का विधान कहूँ
या विधि की क्रूरता
अंश नहीं हो तुम मेरा
पर तुम्हारे आने का
कारण मै ही हूँ
"काश्वी" हो तुम
रौशनी ही दोगी सब को
उनको भी जो तुम्हे
इस दुनिया मे सिर्फ
इसी लिये ले आये
की बचा रहे उनका
वोह रिश्ता जिसका " नाम " है
इसी लिये तो
मै तुम्हे
"नियती की बच्ची"
कहती हूँ क्योकि
तुम प्यार की नहीं
समझोते की निशानी हो
और समझोतो से
रिश्तों को बचाया जा सकता है
पर रिश्तो को "जीया" नहीं जा सकता

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