ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Tuesday, June 12, 2007

अनसुनी कर दो हर वह दस्तक

अनसुनी कर दो हर वह दस्तक
जों दिल के दरवाजो पर होती है
आज कल का वक़्त सही नहीं है
ना जाने कब कौन अजनबी
एक दस्तक दे और फिर
चला जाये तुम्हारे जज्बातो की
गठरी को समेट कर
बाद मे ढ्ढना बहुत मुश्किल हॊगा
क्योकी जों दिल मे बसते है
उनकी तस्वीर कैसे किसी को दिखाओगे
और उन्हे चोर कैसे कह पाओगे
अच्छा होगा
अनसुनी कर दो हर वह दस्तक
जों दिल के दरवाजो पर होती है

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