ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Friday, January 04, 2008

सम्मानित , अपमानित होती हूँ मै

सम्मानित , अपमानित होती हूँ मै
क्योंकी मै स्त्री हूँ , माँ हूँ , बहिन हूँ , पत्नी हूँ

उनसे तो मै फिर भी लाख दर्जे अच्छी हूँ
जिनका कोई मान समान ही नहीं हैं
जब भी
सम्मानित , अपमानित होती हूँ मै
जिन्दगी की लड़ाई मै , आगे ही बढ़ी हूँ

औरो से उपर ही उठी हूँ
नहीं तोड़ सके हैं वह मेरा मनोबल
जो करते है सम्मानित , अपमानित मुझे
क्योंकी मैने ही जनम उनको दिया है
दे कर अपना खून जीवन उनको दिया है
दे कर अपना दूध बड़ा उनको किया है
नंगा करके मुझे जो खुश होते है

भूल जाते है उनके नंगेपन को
हमेशा मैने ही ढका है

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