ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Thursday, April 03, 2008

एक घुटन भरी डायरी - असफल औरत

एक घुटन भरी डायरी
यानि एक असफल औरत
एक सफल पुत्री
एक सफल पत्नी
एक सफल माँ
और एक असफल इंसान
मानसिक रूप से टूटी
सामाजिक रूप से सुरक्षित
गलती हमेशा अपनी नहीं
किसी और की खोजती

सब सुविधा से घिरी
फिर भी असंतुष्ट
सदियों से केवल साहित्य रचती
एक घुटन भरी डायरी लिखती
एक असफल औरत जो
इनसान ना बन सकी
राह अपनी ना चल सकी
क्योकी चाहती थी

राह के कंकर कोई चुन देता
सिर पर छाँव कोई कर देता
और सफल इंसान वो कहलाती
घुटन से आजादी वो पाती

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