हम सब चले एक बंधी बंधाई लीक पर
इसलिये हम सब चाहते हैं
कि सब चले बंधी बंधी लीक पर
जो नहीं चलते हैं उनको देख कर
लगता तो हमे यही हैं
क्यो हम भी नहीं चले
पर फिर भी
टीका टिपण्णी हम जरुर करते हैं
लीक पर ना चलने वालो पर
ताकि अपने मन के शोभ को
कुछ कम कर सके
अपनी कमियों पर परदा डाल सके
पर मन मे हमे पता हैं
वह ग़लत नहीं हैं
जो राहे नई बनाते हैं
क्योकि अगर राहे नई नहीं बनेगी
तो सारी दुनिया को चलते ही रहना होगा
उन सडको पर जो टूट चुकी है
ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
COPYRIGHT 2007.© 2007. The blog author holds the copyright over all the blog posts, in this blog. Republishing in ROMAN or translating my works without permission is not permitted. Adding this blog to Hindi Aggregators without permission is voilation of Copy Right .
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे
Saturday, June 14, 2008
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