ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Saturday, June 14, 2008

अगर राहे नई नहीं बनेगी

हम सब चले एक बंधी बंधाई लीक पर
इसलिये हम सब चाहते हैं
कि सब चले बंधी बंधी लीक पर
जो नहीं चलते हैं उनको देख कर
लगता तो हमे यही हैं
क्यो हम भी नहीं चले
पर फिर भी

टीका टिपण्णी हम जरुर करते हैं
लीक पर ना चलने वालो पर
ताकि अपने मन के शोभ को
कुछ कम कर सके
अपनी कमियों पर परदा डाल सके
पर मन मे हमे पता हैं
वह ग़लत नहीं हैं
जो राहे नई बनाते हैं
क्योकि अगर राहे नई नहीं बनेगी
तो सारी दुनिया को चलते ही रहना होगा
उन सडको पर जो टूट चुकी है

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