ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Monday, September 08, 2008

मीमांसा समीक्षा विवाद अपवाद

बुराइयों की मीमांसा करते करते
अच्छाइयों की समीक्षा करना
हम कबका भूल चुके
समय रहते चेत जाते
तो याद रहता की
विवादो की होती हैं मीमांसा
और
अपवादों की होती हैं समीक्षा
विवाद से अपवाद का सफर
बहुत था आसन बस
हम ही रास्ता भटक गए

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