ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Sunday, October 05, 2008

लाईट लो बिटिया - पत्नी बनकर जीवन लाईट होता हैं

तुम सदियों से लाईट लेते रहे
पत्नी पर व्यंग करते रहे और
सुधिजन संग तुम्हारे मंद मंद हँसते रहे
घर मे हमको लाकर
व्यवस्था के नाम पर
वो सब हम से करवाया
बिना हम से पूछे की
क्या हमने करना भी चाहा
हमारी पढाई गयी चूल्हे मे
तुम्हारी पढ़ाई से तरक्की हुई
हमारे माता पिता का सम्मान
उनके दिये हुए सामान से
तुम्हारे माता पिता का सम्मान
तुम्हे पैदा करने से
हम चाकर तुम मालिक
घर तुम्हारा बच्चे तुम्हारे वंश तुम्हारा
तुम हो तो हम श्रृगार करे
ना हो तो सफ़ेद वस्त्र पहने
हम पर कब तक व्यंग
और फब्तियां कसोगे
उस दिन समझोगे की
पिता की पीडा क्या होती हैं
जब अपनी बेटी ब्याहोगे
हम तब भी उसको यही समझायेगे
जो हमारी माँ ने हमको समझाया
बिटिया निभा लो जैसे हमने निभाया
समझोते का नाम जिन्दगी हैं
और जिन्दगी जीने का अधिकार
पति का हैं
पत्नी को तो जीवन
काटना होता हैं
लाईट लो बिटिया
पत्नी बनकर जीवन लाईट होता हैं
क्योकि भार तुम्हारा , तुम्हारा पति कहता हैं
की वह ढोता हैं
और
समय असमय व्यवस्था के नाम पर
पत्नी को कर्तव्य बोध कराता हैं
फिर
ख़ुद लाईट हो जाता हैं
पत्नी की भावनाओं को हमेशा लाईट ही लिया जाता हैं । ये कविता केवल एक कोशिश हैं पत्नी को लाईट ना समझ कर सीरियस समझने की । और बात अगर मनवानी पड़े तो समझिये की बात मे कुछ ग़लत जरुर हैं क्युकी पत्नी के पास भी एक दिमाग होता हैं सही और ग़लत समझने का । पत्नी आप की दासी नहीं होती की हर बात माने

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