मैने अल्लाह कि इबादत शुरू कर दी हैं
मै रोज उससे कहती हूँ
कि अपने प्यारे जिहादियों को
अपने पास बुला लो
क्यूँ दस दस पाँच पाँच कर के बुलाते हो
एक साथ बुला लो
सारा सबाब एक साथ है इनको दे दो
तुम्हारे बंदे हैं
बार बार बिचारे
बन्दूक उठाते हैं
मुह कि खाते हैं
और मर जाते हैं
हम भगवान् के बंदे हैं
वो अल्लाह के बंदे हैं
भगवान् हमारी सुनता नहीं
या अल्लाह तू ही सुन
नमाज कह मै नमाज पदूगी
कि अपने प्यारे जिहादियों को
अपने पास बुला लो
क्यूँ दस दस पाँच पाँच कर के बुलाते हो
एक साथ बुला लो
सारा सबाब एक साथ है इनको दे दो
तुम्हारे बंदे हैं
बार बार बिचारे
बन्दूक उठाते हैं
मुह कि खाते हैं
और मर जाते हैं
हम भगवान् के बंदे हैं
वो अल्लाह के बंदे हैं
भगवान् हमारी सुनता नहीं
या अल्लाह तू ही सुन
नमाज कह मै नमाज पदूगी
पांचो वक्त पढ़ूगी
हज को भी जाउंगी
रोजा भी रखूगी मजार पर चद्दर भी चढ़ाऊगी
हज को भी जाउंगी
रोजा भी रखूगी मजार पर चद्दर भी चढ़ाऊगी
बस मेरे मौला मेरे मुल्क पर अपनी रहमत बख्श
मेरा इश्वर मेरी नहीं सुनता तू तो सुन
अपने इन बन्दों को अपने पास बुला
अपनी रहमत का दरवाजा खोल दे
हर जिहादी के लिये ताकि हम
सब सुकून और शान्ति से रह सके
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