कितनी आसान होती ये ज़िन्दगी
अगर दोस्त लबादा ना पहने होते
बहुत आसान होता है
दुशमनो को पहचानना
पर दोस्ती का लबादा
पहने दुशमनो को
कैसे पह्चानु
जो बार बार मिलते है
नये नये भेस मे
और जब जाते है
तो सब एक से लगते है
अगर दोस्त लबादा ना पहने होते
बहुत आसान होता है
दुशमनो को पहचानना
पर दोस्ती का लबादा
पहने दुशमनो को
कैसे पह्चानु
जो बार बार मिलते है
नये नये भेस मे
और जब जाते है
तो सब एक से लगते है
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