ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे
Thursday, February 04, 2010
हम
आंसुओ के समंदर मे
जज्बातों कि कश्ती
डूबती उतराती रही
जिन्दगी के भंवर मे
उम्मीद कि पतवार से
हम खेते रहे कश्ती को
यादो के सहारे
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