ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे
Wednesday, May 30, 2012
गर्मियों की छुटियाँ
बहने , अपने बच्चो के साथ
अपने मायके आ गयी
अब लगता हैं
गर्मियों की छुटियाँ आगयी
बच्चो के आने से
उनके लड़ाई झगड़े से
उनकी पसंद ना पसंद से
अपने और अपनी बहनों के
बचपन को जीना
कितना सुख देता हैं
ये गर्मियों में ही पता चलता हैं
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