ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Saturday, December 15, 2007

जिन्दगी

मै चाहता था की मै प्रेम विवाह करू
पर मैने प्रेम किया एक विवाहिता से
जो मुझसे सात वर्ष बड़ी थी , और
दो बच्चो की माँ होने के बाद भी
नाखुश थी अपने विवाहित जीवन से
पर मेरे प्रेम को मुझे प्रेम करने के बाद भी
ना स्वीकार सकी और निभाती रहीं
शादी के समझोते को ।
मैने फिर अपने माता पिता की पसंद
से शादी की , मैने लड़की को नहीं देखा
उसने मुझे आकर मेरे घर देखा
शादी करनी थी मुझको क्योंकी
मै अकेला नहीं अपने को सम्भाल पा रहा था ।
शादी हुई , जिन्दगी कुछ आगे चली ,
कुछ नये संबंध बने , कुछ पुराने टूटे ।
शादी हुई पर प्रेम ना हो सका ,
नहीं मै अपने अतीत मे नहीं जाता था ,
वह दरवाजा तो मै तभी बंद कर आया था ।
दुनिया की नज़र मे ही नहीं अपने नज़र मे भी
मे खुश ही था ।
शादी की सौगात था मेरा बेटा ,
मेरी आंखो का तारा
दिल मेरा फिर भी प्रेम से खाली था ।
दूरिया बहुत थी हम पति पत्नी मे ।
न वो गलत थी , न मै गलत था ,
पर मन मेरा फिर भी भटक रहा था ।
भटके हुए मन को सहारा मिला
एक दोस्त के शब्दों मे।
बहुत संभाला उसने मुझको ,
हमेशा की तरह प्यार से दुलार से ।
जब कोई नहीं होता है मेरे पास ,
हमेशा होती है वह ,
होता है उसका प्यार , उसका दुलार ।
अकेली है वो , मुझसे सात साल बड़ी है वह ।
मैने अपने सपनो मे
जैसी जीवन साथी की कल्पना की थी
बिल्कुल वैसी ही है वह .
पर मैने क्यो कभी नहीं चाहा उसे
जबकी वह हमेशा से मेरे आस पास थी ।
फिर आज क्यो ?? मैने कहा उससे की शायद
मै उसे प्यार करता हूँ ।
क्यो कहा मैने ??
जबकी मुझे पता था की मै कायर हूँ
और नहीं छोड़ पाऊंगा अपना विवाहित जीवन ।
जितना प्यार मैने उससे पाया ,
कहीं नहीं मिला मुझको
फिर भी मै उस को कुछ ना दे सका ,
हमेशा उस मोड़ पर छोडा उसको
जब मुझे उसके साथ होना था ।
आज मै उसको वोही दर्द दे आया
जो कभी मुझे मिला था ।
मेरा दर्द तो तब भी उसी ने बांटा था
पर आज वह अकेली लड़ रही है ,
उस दर्द से जो मैने उसे दिया है ।
आज मै भी अपने प्रेम को ना निभा कर
निभा रहा हूँ शादी का समझोता ।
जिन्दगी की दौड़ मे
मै सफलता की सिढ़ियॉ चढ़ रहा हूँ
पर अपनी नज़र मे
मै बहुत नीचे गिर गया हूँ ।

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