ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Monday, March 24, 2008

अनचाहे सपने

नहीं है मेरे हाथो मे
कि रोक सकूं मै

तुम्हारा आना
सपनो मे ।

पर आंखे तों मै अपनी
खोल ही सकती हूँ
नींद से जग तों सकती हूँ
अनचाहे सपनो से
बच तों सकती हूँ ।
अपने कल के सपनो से
अपने आज को बचा कर
अपने कल को सुरक्षित
कर तों सकती हूँ ।

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