रिश्तों के ऊपर
जब काई आजाती है
रिश्ते सड़ जाते है
लोग फिर झूठ बोल कर
खुद को बचाते है
और भ्रम मे रहते है
की उन्होने रिश्तों को
बचा लिया
रिश्ता तो कबका
दम तोड़ चूका होता है
काई के नीचे
झूठ और अविश्वाश कि गंध से
काई से अच्छे से अच्छा भी
हो जाता है बुरा
ये कविता अपने ओरिजनल फॉर्म मे इंग्लिश मे है और काफी लंबी हैं ।
जब काई आजाती है
रिश्ते सड़ जाते है
लोग फिर झूठ बोल कर
खुद को बचाते है
और भ्रम मे रहते है
की उन्होने रिश्तों को
बचा लिया
रिश्ता तो कबका
दम तोड़ चूका होता है
काई के नीचे
झूठ और अविश्वाश कि गंध से
काई से अच्छे से अच्छा भी
हो जाता है बुरा
ये कविता अपने ओरिजनल फॉर्म मे इंग्लिश मे है और काफी लंबी हैं ।
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