ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
COPYRIGHT 2007.© 2007. The blog author holds the copyright over all the blog posts, in this blog. Republishing in ROMAN or translating my works without permission is not permitted. Adding this blog to Hindi Aggregators without permission is voilation of Copy Right .
ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Friday, October 17, 2008

वो मुसलमान हैं मै हिंदू हूँ

वो मुसलमान हैं मै हिंदू हूँ
मेरा धर्म मेरा हैं
उसका धर्म उसका हैं
मेरी आस्था मेरी हैं
उसकी आस्था उसकी हैं
पर देश हमारा एक हैं
मैने कभी उससे नहीं पूछा
क्या तुमको यहाँ कोई तकलीफ हैं
क्यूँ पुछू उसका अपना घर हैं
उसका अपना देश हैं
उसको तकलीफ होगी तो
वो ख़ुद झेलेगा और निपटेगा
लडेगा ख़ुद अपने हक़ के लिये
और लेके रहेगा अपना हक़
अपने घर मे क्या आराम
और क्या तकलीफ
बारबार जो उसकी तरफदारी मे
उठ खडे होते हैं
अहसास वाही उसको कराते हैं
की तुम मुसलमान हो
हमारे घर मे रह रहे हो
तुमको बचाना हमारा धर्म हैं
धर्म की परिभाषा की आड़ मे
मिलकियत वही देश पर दिखाते हैं
जो केवल ईद पर
मुसलमान को गले लगाते हैं
ग़लत होगा जो
हिंदू हो या मुसलमान
देश का कानून ख़ुद निबटेगा
मानवता को शर्मसार जो करेगा
धर्म उसका ख़ुद उसको कचोटेगा
मत याद दिलाओ बारबार की
ईद पर पिछले बम्ब धमाको के बाद
दिवाली हिन्दुओ ने नहीं मनाई थी
और नवरात्रि की मन्दिर मे भगदड
के बाद ईद मुसलमानों ने नहीं मनाई थी
क्युकी सब ने सिर्फ़ और सिर्फ़
तब अपना धर्म निभाया था
धर्म मानवता का
धर्म देश प्रेम का
धर्म भाई चारे का

No comments: