ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Thursday, December 18, 2008

चाहना पाना देना मांगना

कुछ पाने के लिये चाहते हैं
कुछ सिर्फ़ चाहने के लिये चाहते हैं
जो सिर्फ़ चाहने के लिये चाहते हैं
वही सब कुछ पाते हैं
पाने के लिये चाहना
और
चाहने के लिये चाहना
अन्तर हैं
एक मे हम मांगते हैं
और
एक मे हम देते हैं
मांग के पाया तो क्या पाया
और
मांगने पर दिया तो क्या दिया

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