वैलेंटाइन डे हो या हो बसंत
हम तो प्यार का हर दिन
मनायेगे ज़ोर शोर से
जितना जितना बढेगा आतंकवाद
जितना जीतना दूर हमें धर्म करेगा
उतना उतना जरुरी होगा
बार बार मानना दिन
बसंत और वलेंटाइन का
जो करते हैं विरोध मोहब्बत का
दे जवाब मेरे एक सवाल का
जो मुहब्बत ना होती तो
वो क्या इस दुनिया मे होते ?
मोहब्बत से ही ये दुनिया हैं
और
दिन बहुत है कम मुहब्बत के
सो जिस को जिस से मुहब्बत हैं
ना किया हो इजहार अगर बसंत पर
तो कर लो वलेंटाइन डे पर
और भी दो चार दिन ऐसे बनाओ
जब बात हो प्यार कि इकरार कि
जिस देश मे ताज महल हैं
प्यार हैं , विश्वास हैं
उस देश मे नफरत क्यों आयेगी
बसंत और वलेंटाइन से ही सही
प्यार कि खुशबु
फिर मेरे देश को महकाएगी
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