वही इतिहास मे नाम दर्ज कराते हैं
जो इतिहास पढ़ते नहीं
इतिहास बनाते हैं
इतिहास पढ़ना यानि
दूसरो कि बनी लकीरों पर चलना
लकीर सीधी तो सीधी चाल
लकीर टेढी तो टेढी चाल
अपना क्या ? , बस लकीर पीटना
संस्कृति
लकीरों और इतिहास मे नहीं हैं दर्ज ।
संस्कृति ,
बसती मन मे
मिलती हैं कोख मे
और
लोग खोजते हैं संस्कृति को
किताबो मे
शोलोको मे
उद्धरण मे
सांख्यिकी मे
सर्वेक्षण मे
गीता मे
बाइबल मे
कुरान मे
सब कहते हैं
माँ देती हैं संस्कार
जबकि सत्य ये हैं
कि माँ देती हैं संस्कृति
संस्कार और संस्कृति मे
होता हैं फरक बहुत
संस्कृति से संस्कार मिल सकते हैं
पर संस्कार से संस्कृति
ना बनती हैं ना बिगड़ती हैं
नाम इतिहास मे दर्ज करना हैं
तो लकीर एक नयी बनाओ
जिस पर चल कर
अपनी संस्कृति से
अपने संस्कार तक जाओ
जो इतिहास पढ़ते नहीं
इतिहास बनाते हैं
इतिहास पढ़ना यानि
दूसरो कि बनी लकीरों पर चलना
लकीर सीधी तो सीधी चाल
लकीर टेढी तो टेढी चाल
अपना क्या ? , बस लकीर पीटना
संस्कृति
लकीरों और इतिहास मे नहीं हैं दर्ज ।
संस्कृति ,
बसती मन मे
मिलती हैं कोख मे
और
लोग खोजते हैं संस्कृति को
किताबो मे
शोलोको मे
उद्धरण मे
सांख्यिकी मे
सर्वेक्षण मे
गीता मे
बाइबल मे
कुरान मे
सब कहते हैं
माँ देती हैं संस्कार
जबकि सत्य ये हैं
कि माँ देती हैं संस्कृति
संस्कार और संस्कृति मे
होता हैं फरक बहुत
संस्कृति से संस्कार मिल सकते हैं
पर संस्कार से संस्कृति
ना बनती हैं ना बिगड़ती हैं
नाम इतिहास मे दर्ज करना हैं
तो लकीर एक नयी बनाओ
जिस पर चल कर
अपनी संस्कृति से
अपने संस्कार तक जाओ
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