हिन्दी ब्लोगिंग की क्लास मे
नैतिकता का पीरियड था
सीनियर सिटिज़न पढा रहे थे
सीनियर सिटिज़न पढ़ रहे थे
ब्लैक बोर्ड पर नारी के
अर्ध नग्न चित्र थे
सब विद्यार्थी ताली बजा रहे थे
चित्र समझ ना आने पर
उसकी डिटेल मे जा रहे थे
अब नैतिकता का प्रश्न हो !!
नारी शरीर पर बात ना हो ??
कुँवारी कैसे स्त्री बनती हैं
जब तक अधेड़ उम्र के
ब्लॉगर समझे और समझायेगे नही
यौन शिक्षा का प्रचार क्यूँ
ग़लत हैं भारत मे
इस विषय पर चर्चा कैसे कर पायेगे ??
हर प्रश्न का जवाब शिक्षक दे रहा था
जहाँ जहाँ जरुरत थी प्रतीकात्मक हो रहा था
नारी को घर मे ही रहना था
बाहर क्यूँ आयी
अब बाहर आयी है तो नग्न उसको कहो
बार बार शास्त्रार्थ करने को कहता था
अब शास्त्रार्थ कौन करता
सब तो ताली बजा रहे थे
एक दो नटखट बच्चो ने
कक्षा मे झाँका तो
केवल वयस्कों का बोर्ड लगा पाया
अब नारी देह पर बात केवल
व्यसक ही भारत मे करते हैं
रिटायर होने की सीमा हो जाए
तब भी इस विषय मे
बच्चो की तरह पढ़ते हैं
और ताली भी बजाते हैं
नग्न औरत के चित्र
इन्टरनेट पर जो लगाते हैं
स्रोत का नाम देना भी भूल जाते हैं
चोरी जो करते हैं
चोरी गलत काम हैं
बार बार वही दोहराते हैं
और बंद दरवाजो के पीछे ही नहीं
खुले आम ब्लॉग पर
नग्न नारी को निहारते
disclaimer is kavita kaa kisi jeenda yaa murda blog post sae koi laena daena nahin haen
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
COPYRIGHT 2007.© 2007. The blog author holds the copyright over all the blog posts, in this blog. Republishing in ROMAN or translating my works without permission is not permitted. Adding this blog to Hindi Aggregators without permission is voilation of Copy Right .
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे