ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे
Thursday, August 11, 2011
मोड़
जिन्दगी के मोड़
कितने अजीब होते
जिस मोड़ पर
कोई किसी से मिलता हैं
उस मोड़ पर ही
कोई किसी से
बिछड़ता हैं
कहीं जिन्दगी मुड़ जाती हैं
कहीं क़ोई जिन्दगी से मुड़ जाता हैं
और कहीं
किसी को जिन्दगी मोड़ देती हैं
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