ईश्वर
तुम क्या सोचते हो
मै नहीं जानती
बस यही जानती हूँ
तुम कितनी भी मुश्किल में रह कर
अगर मुश्किले मेरे लिये बढाते हो
तो
तुम मुझे और मजबूत बनाना चाहते हो
क्युकी भविष्य बस तुम ही देख पाते हो
मुश्किल क्षणों में मै भी घबराकर
चीत्कार करती हूँ
अनगिनत अपशब्द तुम्हे ही कहती हूँ
पर
फिर समझती हूँ मेरी ख़ुशी का ध्यान
तुम कभी नहीं रखते हो
बस मेरी भलाई की मंशा
तुम्हारी होती हैं
तुम क्या सोचते हो
मै नहीं जानती
बस यही जानती हूँ
तुम कितनी भी मुश्किल में रह कर
अगर मुश्किले मेरे लिये बढाते हो
तो
तुम मुझे और मजबूत बनाना चाहते हो
क्युकी भविष्य बस तुम ही देख पाते हो
मुश्किल क्षणों में मै भी घबराकर
चीत्कार करती हूँ
अनगिनत अपशब्द तुम्हे ही कहती हूँ
पर
फिर समझती हूँ मेरी ख़ुशी का ध्यान
तुम कभी नहीं रखते हो
बस मेरी भलाई की मंशा
तुम्हारी होती हैं
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