ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Monday, December 26, 2016

ओढ़ ली प्यार की चादर

बीतते  समय के साथ
ना कोई याद धुंधली हुई
ना प्यार की शिद्दत कम हुई
बस कुछ बदला तो इतना
अब प्यार करने
महसूसने के लिये
तुम्हारी कमी नहीं महसूस होती
तुम्हारे लिये मेरे प्यार ने
तुम्हारी कमी को भी जीत लिया
प्यार ने मुझे अपने में समेट लिया
ओढ़ ली प्यार की  भीनी भीनी
अभिनव चादर अब  मैने

4 comments:

उम्मतें said...

गहन / विचारपूर्ण

pushpendra dwivedi said...

waah bahut khoob

radha tiwari( radhegopal) said...

बहुत खूब

radha tiwari( radhegopal) said...
This comment has been removed by the author.