ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Friday, July 06, 2012

मिडल क्लास का एक आदमी

आज फिर दिखा
मिडल क्लास का एक आदमी
एक फ्लाई ओवर के ऊपर
एक रिक्शे पर सवार
एक पत्नी
तीन छोटे बच्चे
और दो भारी भरकम अटैची
को पीछे से धक्का देते हुए
दो रिक्शे ना अफोर्ड कर पाना
चढाई पर अकेला रिक्शे वाला कैसे खीचेगा
यही हैं मिडल क्लास मानसिकता

पत्नी भी उत्तर सकती थी
आफ्टर ऑल अर्धांगिनी थी
सुख दुःख की साथी थी 
नहीं उतरी  क्युकी वहाँ
वो पहले नारी थी
सुकुमारी थी

ख़ैर
ईश्वर से प्रार्थना हैं
मिडल क्लास के इस आदमी को
बनाए रखना
अपने परिवार के प्रति
मानवता के प्रति उसका प्रेम जगाये रखना  

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