ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Sunday, July 15, 2012

मनाई , बंदिश और नियम -- एक कविता जो पुरानी हैं पर आज भी नयी हैं

मनाई , बंदिश और नियम
जहाँ भी मनाई हों
लड़कियों के जाने की
लड़को के जाने पर
बंदिश लगा दो वहाँ
फिर ना होगा कोई
रेड लाइट एरिया
ना होगी कोई
कॉल गर्ल
ना होगा रेप
ना होगी कोई
नाजायज़ औलाद
होगा एक
साफ सुथरा समाज
जहाँ बराबर होगे
हमारे नियम
हमारे पुत्र , पुत्री
के लिये
  एक कविता जो पुरानी हैं पर आज भी नयी हैं   My Vision Of Gender Equality

Where Ever You Dont Want
The Girls Should Go
Put An Embargo For The Boys
Then There Will Be  No Red Light Area
There Will Be No Call GIrl
There Will Be No Rape
And
No So Called Illicit Child
Will Be Born

There Will Be
A Neat And Clean Society
Where
The Rules Will Be Same
For Our Sons And Daughers

Copy Right Rachna

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