मेरा अधिकार न हो
क्या फरक पड़ता हैं
तुम्हे प्यार करते रहना
हमेशा से मेरा अधिकार है
इस अधिकार को
कौन मुझे से छीन सकता हैं
ना समाज , ना तुम
बस ईश्वर की इच्छा
दूरियों की परिभाषा हैं
My Expressions Of Life
पुरुष की ज़रूरत हो
स्त्री का सम्पर्ण हों
तो उस अनाम रिश्ते का
नाम है प्यार
पुरुष को जो पुरुष बनाए
स्त्री को जो स्त्री बनाये
वह संपूर्ण कर्म है प्यार
सच कहने की जो ताकत दे
सच स्वीकारने की जो शक्ति दे
वह भावना है प्यार
लोगो ने कहा
जिंदगी दुबारा शुरू करो
आगे बढो
किसी के जाने से
रूकती नहीं हैं जिंदगी
मैने माना और आगे बढ़ी
जिंदगी को चलाया
आगे बढाया
बस भविष्य मे क्या हैं
ये जानने की तमन्ना
अब मुझे नहीं होती
क्या करना हैं
उस भविष्य का
जिसमे तुम नहीं
वर्तमान मे जिन्दगी
मेरी दौड़ रही हैं
भाग रही हैं
मै आगे जा रही हूँ
ऐसा अब सब कहते हैं
ना जाने क्यूँ लोग बार बार
उनसे कहते हैं वन्दे मातरम गाओ
वन्दे मातरम
और
जन गण मन
तो वही गाते हैं
जिनके मन मे देश प्रेम होता हैं
मातृ भूमि को जो चाहेगे
वो ईश्वर से भी मातृ भूमि के लिये लड़ जायेगे
दो बीघा जमीन बस दो बीघा जमीन नहीं होती हैं
अन्न देती हैं , जीवन देती हैं
उस माँ कि तरह होती हैं
जो नौ महीने कोख मे रखती हैं
खून और दूध से सीचती हैं
पर माँ को माँ कब ये मानते हैं
कोख का मतलब ही कहां जानते हैं
मातृ भूमि भी माँ ही होती हैं
कुमाता नहीं हो सकती हैं
इसीलिये तो कर रही हैं इनको
अपनी छाती पर बर्दाश्त
ये जमीन हिन्दुस्तान कि
स्वच्छता का दम भरते हो
ज़रा बताओ फिर क्यों
एक पिता की दो संतान
अगर दो माँ से हैं
तो आपस मे कैसे
और क्यों विवाह
करती हैं
मौन ना रहो
कहो की हम यहाँ
इस हिन्दुस्तान मे
इसीलिये रहते हैं
क्युकी हम यहाँ
सुरक्षित हैं
संरक्षित हैं
कानून यहाँ के
एक होते हुए भी
हमारी तरफ ही
झुके हुए हैं
कहीं और जायगे
तो कैसे इतना
प्रचार प्रसार कर पायेगे
बस हिन्दुस्तान मे ही ये होता हैं
सलीम को यहाँ सलीम भाई
नारज़गी मे भी कोई सुरेश कहता हैं
तुम भाई हो हमारे तो भाई बन कर रहो
हम रामायण पढे
तुम कुरान पढो
ताकि हम तुम कहीं ऊपर जाए
तो राम और अल्लाह से
नज़र तो मिला पाये
ऐसा ना हो की
पैगम्बर की बात फैलाते फैलाते
तुम उनकी शिक्षा ही भूल जाओ
हम को हमारी संस्कृति ने यही समझया हैं
जो घर आता हैं
चार दिन रहे तो मेहमान होता हैं
और रुक ही जाए
तो घर का ही कहलाता हैं
घर के हो तो घर के बन कर रहो
हम तुम से रामायण नहीं पढ़वाते हैं
तुम हम से कुरान मत पढ़वाओ
धार्मिक ग्रन्थ हैं दोनों
पर अगर किताब समझ कर पढ़ सके
कुछ तुम सीख सको
कुछ हम सीख सके
तो घर अपने आप साफ़ रहेगा
और स्वच्छ हिन्दुस्तान नेम प्लेट की
उस घर को कोई जरुरत नहीं होगी ।
माना कि तुम आज
बहुत ऊँचे पहुंच गये हो
बहुत बडे बन गए हो
नहीं
उस ऊँचाई पर मै
कभी नहीं होना चाहती थी
जहाँ ,
इंसान आदमी बन कर रह जाता हैं
तुम्हे तुम्हारी प्रसिद्धता मुबारक
मै अपनी इंसानियत मे
खुश हूँ
जन्माष्टमी पर
मंदिरों के अन्दर लम्बी लाइने
बाल गोपाल को झुला झुलाने के लिए
मन्दिर के बाहर लम्बी लाइने
मेले कुचले कपड़ो मे
प्रसाद मांगते बाल गोपाल
जन्माष्टमी पर
मन्दिर के अन्दर
कृष्ण के साथ परस्त्री को पूजती सुहागिने
मन्दिर के बाहर हाथ मे हाथ डाल कर घुमते
नौजवान अविवाहित जोडे पर टंच कसती सुहागिने
१५ अगस्त पर
आज़ादी के जश्न को मानते परिवार
नौकरानी के देर से आने पर आहत
बड़ी अजनबी लगती हैं ये दुनिया
कहते है लोग की बेटा पैदा करो
तो ही माँ बनोगे
पर नहीं हैं ऐसा ।
दो बेटे पाये हैं मैने इस ब्लॉग जगत मे
एक हैं कमलेश मदान और दूसरे है श्रवण
दोनों ही माँ कह कर बुलाते हैं
और मन को असीम सुख दे जाते हैं
कल हैं जन्म दिन
मेरे श्रवण का
सो उसको आशीष हैं मेरी
की वो जिन्दगी मे जो चाहे वो पाये
नहीं मिली मै दोनों से
पर जो सुख उनसे मैने पाया हैं
वो असीम हैं
और उसके लिये हर दुआ
कुछ कम हैं
आप भी दे आशीष
श्रवण को
उसके १८ वर्ष मे
श्रवण ने अपने ब्लॉग पर मेरी बहुत सी कविताओं को अपनी समझ से हिन्दी से इंग्लिश मे ट्रांसलेट किया हैं । ये उसकी इच्छा थी की उसके जन्मदिन पर मे इस ब्लॉग पर उसके नाम से कविता दूँ , सो लिख दी लेकिन कमलेश मदान स्वत ही याद आगये
कविता अगर बनती होती शब्दों से
तो हर लेखक कवि होता
कविता के लिये शब्द नहीं
भाव चाहिये
और भाव के लिये
कोई भाव देने वाला चाहिये
मजबूरियाँ
नहीं
कमजोरियाँ
लाती हैं संबंधो मे
दूरियाँ
रिश्ता
कोई भी
कैसा भी
क्यूँ ना हो
डोर हैं
बस नेह की
कमजोरियां
उसको तोड़ती हैं
और
मजबूरियों की गांठे
नहीं जोड़ सकती
कोई भी रिश्ता
जो टूट गया हैं
कमजोरियों से
पुरानी पीढी बोली
नयी पीढी से
तुम क्या जानो
हमने क्या क्या किया हैं अपने
माता पिता के लिये
अब अगर करनी को कथनी का
साक्ष्य चाहिये
तो करनी और कथनी के अन्तर को
हर पुरानी पीढी
नयी पीढी को
समझाती ही रहेगी
श्रवण कुमारो की तादाद
पीढी दर पीढी
साक्ष्य के लिये
धूल भरे रास्तो पर
चलती रहेगी
बच्चे कभी जवान नहीं
सीधे बूढे ही बनेगे
और हर नयी पीढी के कर्मो को
पुरानी पीढी रोती रहेगी
हमने तुम्हे पैदा किया
तुम हमको ढोते रहो
क्युकी हमे तुम्हारा
प्यार नहीं तुम्हारा कर्तव्य चाहिये
कमेंट्स देना की इच्छा हो आए तो यहाँ जाए ईश्वर बस बेटी न देना
पाने को पा कर खोना
एक उपलब्धि होती हैं
खोने के डर को जीतना
भी एक उपलब्धि होती हैं
पाया ना होता तो
खोया कैसे होता
ना करना कामना
नज़दीकियों की
दूरियाँ भी
नज़दीकियों से ही आती हैं
वैसे कभी कभी
उनकी दूरियों मे भी
उनकी नजदीकियाँ ही
नज़र हमे तो आती हैं
अभिनव नजदीकियां ही
होती हैं शाश्वत दूरियाँ
दूर जाने की मज़बूरी
ना मिल पाने की मज़बूरी
कमजोरियों को मज़बूरी बना देना
थी उनकी मज़बूरी या कमजोरी
जिन्दगी बीत रही हैं
समझने मे मेरी
जिन्दगी की धुप छावं मे
खेल वो खिलाते रहे
हम खेलते रहे
एक बार ही बस
खेल था खेला हमने
और खेल खेलना
वो भूल गए
दूसरो की जिन्दगी संवारने के
खेल मे अपनी जिन्दगी से
जब खेल चुको
तो मुझ तक वापस आ जाना
और अपनी जिन्दगी संवार लेना
मै वही रहूंगी जहाँ थी
कौन छीन सकता हैं हमसे
नियतिबद्ध हमारी आत्मीयता के पलो को
छोटे लेकिन जिन्दगी से लबालब पल
जिनसे बदल गयी हमारी जिंदगी
सदा के लिये
वो पल जिन्होने समझाया
की अस्वीकृति नहीं बदल सकती हैं
प्यार को भावना को
पल की स्वीकृति से ही
बदल जाती हैं जिन्दगी
तुमने पल को स्वीकार किया
मैने पल को स्वीकार किया
हमारी आत्मीयता के उस एक पल को
और जिन्दगी को जी लिया उस एक पल मे